उज्जैन में आध्यात्मिक पर्यटन का महाकुंभ: 27 अगस्त को होगा “रूहmantic” सम्मेलन का शुभारंभ, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव होंगे शामिल; गजेंद्र सिंह शेखावत रहेंगे विशिष्ट अतिथि!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन, महाकाल की नगरी, एक बार फिर विश्व स्तर पर अपनी आध्यात्मिक पहचान को मजबूत करने जा रही है। प्रदेश की धरती पर बुधवार, 27 अगस्त को द्वितीय वैश्विक आध्यात्मिक पर्यटन सम्मेलन “रूहmantic” का भव्य आयोजन होने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस महाआयोजन का शुभारंभ करेंगे।

यह कार्यक्रम इंदौर रोड स्थित अंजुश्री होटल में सुबह 10:30 बजे से प्रारंभ होगा। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) द्वारा आयोजित यह सम्मेलन, केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय और मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड के सहयोग से हो रहा है। इस अवसर पर केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होंगे।

सम्मेलन का आध्यात्मिक वातावरण तैयार करने के लिए आध्यात्मिक गुरु गौरांग दास प्रभु मुख्य भाषण देंगे। उनके विचार, न केवल पर्यटन की दिशा तय करेंगे बल्कि यह भी बताएंगे कि कैसे आस्था और अध्यात्म आधुनिक जीवनशैली के साथ संतुलन बना सकते हैं।

आध्यात्मिक पर्यटन पर विशेष रिपोर्ट का विमोचन

कार्यक्रम की खास बात यह होगी कि इस दौरान PHDCCI-KPMG की विशेष रिपोर्ट “आस्था और प्रवाह: भारत के पवित्र स्थलों में जनसमूह का मार्गदर्शन” का विमोचन किया जाएगा। यह रिपोर्ट देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर बढ़ते पर्यटन, श्रद्धालुओं के प्रवाह और उससे जुड़ी आर्थिक-सामाजिक संभावनाओं का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत करेगी।

सम्मेलन के अंतर्गत मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सरकार-उद्योग गोलमेज सम्मेलन भी होगा। इसमें आध्यात्मिक पर्यटन से जुड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, जिम्मेदार आतिथ्य और सांस्कृतिक संवर्धन पर चर्चा होगी। उद्देश्य यह है कि प्रदेश में पर्यटन केवल श्रद्धा का प्रतीक न रहकर, स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाए।

गहन विषयों पर होगी चर्चा

सम्मेलन के दौरान कई रोचक और गहन विषयों पर सत्र होंगे, जिनमें—

  • मंदिर अर्थव्यवस्थाएं: आस्था और आजीविका का संगम – किस प्रकार मंदिर सर्किट स्थानीय लोगों की रोज़ी-रोटी का आधार बनते हैं।

  • महाकाल का मंडल: उज्जैन की आध्यात्मिक शक्ति और शहरी भविष्य – विरासत और आधुनिकीकरण का संतुलन।

  • मन, शरीर और आत्मा: नई आध्यात्मिक सीमा के रूप में वेलनेस – योग, आयुर्वेद और वेलनेस का एकीकरण।

  • डिजिटल में दिव्य: आध्यात्मिकता 2.0 – एआई, वीआर और मोबाइल एप्स के ज़रिए बढ़ती अध्यात्म तक पहुँच।

  • पवित्र धुरी के संरक्षक – ज्योतिर्लिंग सर्किट – बारह ज्योतिर्लिंगों के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व की चर्चा।

सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधिमंडल उज्जैन के श्री महाकालेश्वर और काल भैरव मंदिर के दर्शन भी करेगा। इसका उद्देश्य है कि प्रतिभागी न केवल विचार-विमर्श करें बल्कि स्वयं उज्जैन की आध्यात्मिक ऊर्जा और विरासत का अनुभव भी करें।

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